aditya l1 mission
क्या विश्व पर मंडरा रहा कोई अंजान खतरा, जानिए aditya l1 mission की आवश्यक जानकारी।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने पहला स्वदेशी मिशन सूरज पर भेजा दिया हैं, जिसका नाम आदित्य aditya l 1 हैं।
आदित्य L1 को सूरज के L1 पॉइंट तक पहुंचने मैं 125 दिनों का समय लगेगा। isro आदित्य L1 को सूरज के L1 पॉइंट पर स्थापित किया जाएगा । यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख करोड़ किलोमीटर दूरी पर स्थित होगा ।
L1 पॉइंट
L1 पॉइंट वह पॉइंट है, जहां पर गुरुत्वाकर्षण बल बराबर मात्रा में लगता है, जिससे वह स्थिर अवस्था में रहकर ईंधन की बचत कर L1 पॉइंट का चक्कर लगायेगा। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें चंद्रयान 3 के सफल मिशन के बाद सूर्य पर रिसर्च करने के लिए इसरो पर आशा बनी हुई हैं।
आखिर आदित्य L1 का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के मुताबिक मिशन का लक्ष्य सूर्य के क्रोमोस्फीयर और कोरोना की गतिशीलता, सूर्य का तापमान, कोरोना मास इजेक्शन, कोरोना का तापमान, अंतरिक्ष मौसम सहित कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी का पता लगाना ही aditya l1 का प्रमुख उद्देश्य हैं।
दुनिया के लिए आदित्य L1 missan इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?
सूर्य के कोर में प्रचंड मात्रा मैं तापमान होता है। कोर ज्यादा गर्म होने से सूर्य की सतह पर प्लाज्मा विस्फोट की वजह से अंतरिक्ष में फैल जाता हैं, जिसे कोरोनल (सीएमई)मास इजेक्शन कहते हैं, यह अंतरिक्ष में प्रकाश की गति से पूरे ब्रह्मांड में फैल जाता हैं। अधिकतर स्तिथियों में देखा गया है कि,सीएमई पृथ्वी की ओर भी आ जाता है,लेकिन पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड की वजह से धरातल तक आने में असमर्थ होता हैं, लेकिन कई बार सीएमई पृथ्वी के अंदर के वातावरण को भेद कर नुकसान पहुंचने की कोशिश करता हैं।
aditya l1 mission की खोज एवम नुकसान
इस मिशन में कुछ महत्वपूर्ण खोज एवं बाधक निम्नलिखित है –
- पृथ्वी के बाहर भी कोरोनल मास्क इजेक्शन की वजह से सेटेलाइट को भी काफी नुकसान होता है।
- सेटेलाइट भी क्षतिग्रस्त होने के कारण धरातल पर दूरसंचार जैसे इंटरनेट की सुविधा में वादा उत्पन्न होती हैं।
- आदित्य L1 को L1 पॉइंट पर स्थापित कर ताकि सूर्य से आने वाले कोरोनल मास इजेक्शन की तीव्रता का अंदाज लगाया जा सके।
- और इसके साथ ही आदित्य आदित्य L1 में कई शोध भी महत्वपूर्ण हैं, जो समय के साथ किए जाएंगे।
aditya l1 mission की भूमिका
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो ने यह साबित कर दिया कि, दुनिया में विज्ञान के क्षेत्र में भारत को पीछे नहीं आंका जा सकता है। भारत लगातार विज्ञान की ओर तरक्की कर रहा है, जिसका श्रेय हमारे देश के महान वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के साथ संभव हो पाया है। भारत विज्ञान क्षेत्र में नए-नए आविष्कार करने के मामले में दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
हाल ही के दिनों में चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण को दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है और कुछ दिनों बाद एक के बाद एक मिशन की ओर अग्रसर है। चांद की सतह एवं सूर्य से जुड़े महत्वपूर्ण को सुलझाने का कार्य aditya l1 mission करेगा।
आदित्य L1 से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न – आदित्य L1 क्या हैं ?
उत्तर – आदित्य शब्द का अर्थ सूरज और एल-1 का अर्थ लाग्रेंज पॉइंट 1 होता हैं।
प्रश्न – aditya l1 mission का बजट कितना हैं ?
उत्तर – आदित्य L1 का बजट 378.53 करोड़ रुपये हैं।
प्रश्न – aditya l1 mission अपनी कक्षा में कब पहुंचेगा ?
उत्तर – आदित्य L1 को सूरज के L1 पॉइंट तक पहुंचने मैं 125 दिनों का समय लगेगा।
प्रश्न – आखिर हमें सूरज से क्या नुकसान हैं ?
उत्तर – सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होती है।
प्रश्न – चंद्रयान एवं आदित्य एल्बम में क्या अंतर है?
उत्तर – चंद्रयान का उत्तरदायित्व चांद पर मौजूद हालातो पर खोजबीन करना एवं aditya l1 mission का काम सूर्य पर रिसर्च करना है।
प्रश्न – क्या इससे पहले किसी ने और यंत्र भी सूर्य पर अध्ययन करने के लिए भेजे है।
उत्तर – नासा द्वारा सूर्य पर अध्ययन करने के लिए मिशन को भेजा गया है।
हमारी टीम द्वारा इस लेख में aditya l1 mission से जुड़ी लगभग सभी प्रकार की जानकारी आपको प्राप्त गई हो गई। यदि आप भी अपने क्षेत्र के किसी भी इतिहास अथवा रोचक जानकारी को हमारे साथ साझा करना चाहते हैं,तो कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिज्ञा को जरूर प्रतिक्रिया दें।