खजुराहो

खजुराहो दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाला शहर भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख शहर है, जो प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्व में विख्यात है। खजुराहो छतरपुर जिले स्तिथ प्राचीन शहर है। खजुराहो को पूर्व समय में खजूरी, खजूरपुरा के नाम से जाना जाता था। इसका एक और नाम खजूर वाहिका प्रसिद्ध रहा। कई संदर्भ में खजुराहो मंदिर का रहस्य भी छुपा हुआ है।
खजुराहो का मंदिर अधिक संख्या में प्राचीन हिंदू एवं जैन मंदिरों के लिए ख्याति प्राप्त हैं। मंदिरों का यह शहर पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए विख्यात है। खजुराहो को बने हुए अलंकृत मंदिरों की वजह से विश्व में जाना जाता है, जो कि देश की सर्वश्रेष्ठ मध्यकालीन स्मारक है। दुनिया भर से पर्यटक इन शैलियों को देखने के लिए साल भर आते रहते हैं।
खजुराहो मंदिर का इतिहास
खजुराहो मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। यह अपने क्षेत्र में खजुराहो की सबसे पुरानी ज्ञात शक्ति वत्स थी। परिक्षेत्र में उनके उत्तराधिकारियों में-
- सुंग
- वाकाटक
- पद्मावती
- गुप्त वंश
- पुष्य वंश
- मौर्य वंश
- प्रतिहार
- बुंदेला राजवंश और चंदेल राजा शामिल थे।
खजुराहो मंदिर का रहिस्य विशेष रूप से गुप्त काल में इस क्षेत्र में वास्तु कला और अन्य कलाओं का प्रचलन था। सभी उत्तराधिकारियों ने कलात्मक परंपरा को जारी रखा। खजुराहो का इतिहास आज के समय में अपनी अद्भुत कलाकृतियों के लिए विश्व विख्यात है। चंदेल वंश और खजुराहो के संस्थापक चंद्र बर्मन चंदेल थे।
खजुराहो मंदिर क्यों प्रसिद्ध है
खजुराहो मंदिर क्यों प्रसिद्ध है- इसका उत्तर जानना जरूरी हो जाता है, क्योंकि विश्व भर में ख्याति प्राप्त मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों की खूबसूरती के लिए खजुराहो की विश्व धरोहर(यूनेस्को) के रूप में शामिल किया गया। खजुराहो का मंदिर एक सभ्य, संदर्भ, जीवंत संस्कृति, संपत्ति और 1000 आवाज़ जो सेरेब्रम से अलग हो रही है।
खजुराहो का मंदिर खजुराहो ग्रुप ऑफ मोमेंट्स समय और स्थान के अंतिम बिंदु की तरह है, जो मानव संरचना और संवेदनों को संयुक्त करती सामाजिक संरचनाओं की भरपाई भारतीय संस्कृति में नजर आती है। मानव जीवन को सुचारू रूप से चलने की खजुराहो मंदिर में कई उदाहरण देखने को मिलते हैं।
खजुराहो का मंदिर किसने बनवाया
खजुराहो मंदिर निर्माण से जुड़े कुछ जानकारी प्रकार है-
- खजुराहो मंदिरों का निर्माण आज से लगभग 1000 साल पहले चंदेल राजाओं द्वारा करवाया गया था।
- राजा चंद्र बर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले एक राजा थे।
- खजुराहो शहर चंदेल क्षत्रिय साम्राज्य की प्रथम राजधानी थी।
- खजुराहो के संस्थापक चंदेल वंश और चंद्रवर्मन राजा थे।
- चंदेल राजाओं ने दसवीं से 12वीं शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया।
- विश्व विख्यात खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 1950 ई से 1050 ई के आसपास इन्हीं चंदेल राजाओं द्वारा करवाया गया था।
खजुराहो के मंदिर
खजुराहो के मंदिर समूह को पूर्वी समूह, दक्षिणी समूह, पश्चिमी समूहों में विभाजित किया गया है।
पश्चिमी समूह मंदिरों के नाम निम्न हैं –
- लक्ष्मी मंदिर
- वराह मंदिर
- लक्ष्मण मंदिर
- कंदरिया महादेव मंदिर
- सिंह मंदिर
- देवी जगदंबा
- सूर्य चित्रगुप्त मंदिर
- विश्वनाथ मंदिर
- नंदी मंदिर
- पार्वती मंदिर बने हुए हैं।
पूर्वी समूह के मंदिरों को दो विषम भागों में विभाजित किया गया है-
- वामन मंदिर
- जावरी मंदिर
- जैन मंदिर
- पार्श्वनाथ जैन मंदिर
- शांतिनाथ जैन मंदिर एवं जैन संग्रहालय शामिल है
दक्षिणी समूह के मंदिर में दो मंदिर बने हुए हैं-
- चतुर्भुज मंदिर
- दूल्हा देव मंदिर
दूल्हा देव मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है।
खजुराहो का मौसम
विश्व विख्यात खजुराहो शहर का मौसम भारत देश में चर्चाओं का विषय बना रहता है, क्योंकि शरद ऋतु में यहां का तापमान 7 डिग्री के आसपास हो जाता है एवं ग्रीष्म ऋतु में पर 50 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। मध्य भारत के राज्यों में इतना अधिक तापमान कोई आम बात नही।
खजुराहो की 64 काम कलाएं
खजुराहो की 64 काम कलाएं निम्नलिखित-
- गान
- विद्या
- बाद्य नृत्य
- नाट्य
- चित्रकारी
- विचित्र सिद्धियां
- दिखलाना
- कूटनीति ग्रंथों को पढ़ाने का चातुर्य
- समस्यपूर्ति करना
- भाषा का ज्ञान
- समस्त दोषों का ज्ञान कुछ कलाएं हैं।
खजुराहो की मिथुन मूर्तियां
खजुराहो मंदिर का रहस्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर मिथुन मूर्तियां बाहरी दुनिया का ज्ञान करातीं हैं। पूरी दुनिया को काम और भोग परी कल्पनाओं से भरपूर हैं। इसके केंद्र में आध्यात्मिक एवं ईश्वर का वास है। इसका प्रमुख कारण जो मिथुन मूर्तियों को लेकर समझ आता है, कि भगवान शिव को मैथुन सृष्टि का जनक माना जाता है। इसलिए भगवान शिव के मंदिर को मिथुन मूर्तियों से सजाया गया है।
खजुराहो मंदिर का रहस्य
खजुराहो मंदिर के रहस्य में मंदिरों की दीवारों पर बनी मिथुन संबंधी कलाकृतियों के संदर्भ में कई रहस्य जुड़े हुए हैं। इन कलाकृतियों द्वारा जीवन को वैभव यह संभव इत्यादि के साथ जीने के महत्व के बारे में दर्शाया गया है। खजुराहो मंदिर का रहस्य इन्हीं सभी संदर्भों को लेकर बने हुए हैं।
खजुराहो से बागेश्वर धाम की दूरी
विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो से बागेश्वर धाम की दूरी 18 किलोमीटर है। खजुराहो से बागेश्वर धाम पहुंचने के लिए आप यातायात के साधनों में दो पहिया, चार पहिया वाहनों द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। बागेश्वर धाम पहुंचने के लिए आपको सबसे सीधा एवं सुगम माध्यम बस यात्रा द्वारा करना हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न – खजुराहो का मंदिर कब बनाया गया?
उत्तर – खजुराहो का मंदिर लगभग आज से 1000 साल पहले बनवाया गया था।
प्रश्न – खजुराहो मंदिर का रहस्य क्या है?
उत्तर – खजुराहो मंदिर का रहस्य मंदिर की दीवारों पर बनी कुछ कलाकृतियों से जुड़ा हुआ है।
प्रश्न – खजुराहो मंदिर कहां स्थित है?
उत्तर – खजुराहो मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित है।
प्रश्न – खजुराहो का मंदिर किसने बनवाया?
उत्तर – खजुराहो मंदिरों का निर्माण चंदेल राज वंशजों द्वारा कराया गया था।
प्रश्न – खजुराहो का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर – खजुराहो के मंदिरों का विश्व विख्यात होना अद्भुत शैली में बने हुए मंदिरों की मूर्ति कला है।
प्रश्न – खजुराहो की खोज किसने की थी?
उत्तर सन 1819 में सीजे फ्रैंकलिन द्वारा खोजा गया था, लेकिन खजुराहो को दुनिया में चर्चा में लाने का वास्तविक गौरव टीएस बर्ट को दिया गया।
प्रश्न – खजुराहो का मंदिर कितने दिनों में बना था?
उत्तर खजुराहो की मंदिरों को बनने में लगभग 100 वर्षों का समय लगा था।
प्रश्न – क्या बच्चे खजुराहो मंदिर जा सकते हैं?
उत्तर हां यदि बच्चे की उम्र 15 वर्ष से कम है तो उनके लिए मंदिर में घूमना निशुल्क है।
प्रश्न – खजुराहो के संस्थापक कौन थे?
उत्तर – खजुराहो शहर के संस्थापक राजा चंद्र बर्मन थे।
प्रश्न – खजुराहो का मंदिर किस चंदेल राजा ने बनवाया था?
यशो बर्मन के शासनकाल में प्रसिद्ध चंदेल युग की कला और वास्तु कला की शुरुआत हुई। उनके द्वारा खजुराहो में स्थित लक्ष्मण मंदिर का निर्माण कराया गया था।
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